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JNU Kya Hai: क्या आप JNU के बारे में जानना चाहते हैं की ये क्या है और और JNU का फुल फॉर्म क्या होता है तो इस आर्टिकल में आप सभी को JNU के बारे में पूरी जानकारी हिंदी में दी जा रही है. JNU आजकल काफी चर्चा में रहता है और इसके कारन लोग इसे गूगल पर काफी ज्यादा सर्च कर रहे हैं और जानना चाहते हैं JNU के बारे में और अधिक जानकारी.
तो आइये शुरू करते हैं सबसे पहले JNU के फुल फॉर्म से और जानते हैं की JNU का फुल फॉर्म क्या होता है.
JNU Full Form in Hindi
JNU का फुल फॉर्म Jawaharlal Nehru University होता है जिसे हिंदी में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय कहते हैं. इसकी स्थापना सन 1969 में की गयी थी और ये इंडिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय में से एक है. 2012 में इसे सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय घोषित किया गया था. लेकिन अब ये और फेमस हो रहा है लेकिन इसमें हो रहे विवादों के कारन. हर बार JNU में कुछ नया विवाद होता है और जिसके कारन ये न्यूज़ में बना रहता है.
Jawaharlal Nehru University (JNU) के स्कूल और सेंटर
भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अध्ययन संस्थान |
अन्तर्राष्ट्रीय अध्ययन संस्थान |
समाज विज्ञान अध्ययन संस्थान |
भौतिक विज्ञान संस्थान |
जीवन विज्ञान संस्थान |
कला एवं सौन्दर्यशास्त्र संस्थान |
सूचना प्रोद्यौगिकी संस्थान |
कम्प्यूटर और सिस्टम विज्ञान संस्थान |
जैव प्रोद्यौगिकी संस्थान |
पर्यावरण विज्ञान संस्थान |
विशिष्ट संस्कृत अध्ययन केन्द्र |
मोलेकूलर मेडिसिन विशिष्ट अध्ययन केन्द्र |
ला एण्ड गवर्नेंस विशिष्ट अध्ययन केन्द्र |
JNU Kya Hai?
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय भारत का अग्रणी विश्वविद्यालय है तथा शिक्षण और शोध के लिए एक विश्व- प्रसिद्ध केंद्र है। 3.91 के ग्रेड प्वाइंट (4 के पैमाने पर) के साथ राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) द्वारा भारत में अव्वल जेएनयू को राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क(एनआईआरएफ), भारत सरकार द्वारा भारत में सभी विश्वविद्यालयों में वर्ष 2016 में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ तथा वर्ष 2017 में दूसरा प्राप्त हुआ। जेएनयू को वर्ष 2017 में भारत के राष्ट्रपति की ओर से सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय का पुरस्कार मिला। जेएनयू अभी एक युवा विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना वर्ष 1966 में संसद के एक अधिनियम द्वारा हुई थी। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की शक्ति, ऊर्जा और प्रतिष्ठा इस दूरदर्शिता से झलकता है कि इसके विचार साहस, प्रयोग और निरंतर खोज के क्षेत्र हैं, तथा यह कि विचारों की विविधता बौद्धिक अन्वेषण के आधार हैं। जेएनयू बौद्धिक रूप से बेचैन, संतुष्ट न होने वाले जिज्ञासु और मानसिक रूप से कठोर लोगों के लिए ऐसा स्थान है जो उन्हें रमणीय स्थल की शांति के बीच आगे बढने का मौका देता है। यह रमणीय स्थल भारत की राजधानी की चहल-पहल और भीड़ भाड़ के बीच हराभरा क्षेत्र है।
संसद द्वारा अपनी स्थापना के तीन वर्ष बाद1969 में अस्तित्व में आने सेजेएनयू भारतीय विश्वविद्यालय प्रणाली मेंसीमांत विषयों और पुराने विषयों के लिए नए दृष्टिकोण लाया। 1:10 काउत्कृष्ट शिक्षक-छात्र अनुपात, शिक्षण के माध्यम का तरीका जो छात्रों को पहले से प्राप्त ज्ञान को पुनः प्रस्तुत करने के बजाय अपनी रचनात्मकता को तलाशने के लिए प्रोत्साहन देता है,और अनन्य रूप से आंतरिक मूल्यांकन आदि भारतीय शैक्षिक परिदृश्य के लिए भी नए थे और समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। विश्वविद्यालय की स्थापना में अंतर्निहित नेहरूवादी उद्देश्य–‘राष्ट्रीय एकता, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, जीवन का लोकतांत्रिक तरीका, अंतरराष्ट्रीय समझ और समाज की समस्याओं के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण’ स्वयं से प्रश्न पूछने के माध्यम से जानकारी को नवीकृत करने के लिए निरंतर और ऊर्जावान प्रयासउनमें रचा-बसा हुआ था।
विश्वविद्यालय के शैक्षिक दर्शन से इसकी अपरंपरागत शैक्षिक संरचना में बदलाव आए हैं। ज्ञान की एकता मेंविश्वास से ओत-प्रोतजेएनयू में पारंपरिक विश्वविद्यालयों में संकीर्ण संकल्पना विभाग की संरचना से बचने की कोशिश की है। इसकी बजाय कुछ व्यापक और समावेशीइकाइयों,जिनके सहभागी दायरे में सेंटर नामक और अधिक विशेषीकृत इकाइयां होंगी, के भीतर संबद्ध विषयों को लाना पसंद किया गया।यहांविशेष केंद्र भी हैं जो स्कूल की व्यापक संरचनाओं के बाहर हैं, परंतुये आगे और बढ़ सकते हैं। इसके बाद,शोध संकुल (रिसर्च कलस्टर) हैंजो स्कूलों और केंद्रों तथा कुछ पाठ्यक्रमोंजैसे प्रतीत होते हैं जिन्हें कुछ विशिष्ट स्कूलों के भीतर रखा गया है परंतु ये पूरे विश्वविद्यालय में शिक्षकों की रूचि के आधार पर बनाए गए हैं। फिलहाल,विश्वविद्यालय में तेरह स्कूल और सात विशेष केंद्र हैं।
जेएनयू विदेशी भाषाओं में पांच वर्षीय एकीकृत एमए पाठ्यक्रम संचालित करने वाला पहला विश्वविद्यालय था। स्नातकोत्तर स्तर पर जहां अधिकांश स्कूल अपने अकादमिक पाठ्यक्रम शुरू करते हैं, यहां प्रशिक्षण मुख्यतः एकल विषयों की ओर केन्द्रित है (यद्यपि, सभी एमए छात्रों को अपने विषय के अलावा कुछ अन्य पाठ्यक्रम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है) परंतु शोध स्तर पर विषयी सीमाएं और अधिक पारगम्य हो जाती हैं। अतिव्यापी या सीमावर्ती क्षेत्रों – जैसे, पर्यावरण और साहित्यिक अध्ययन, अर्थशास्त्र और विज्ञान, समाजशास्त्र और सौंदर्यशास्त्र, या भाषाविज्ञान और जीवविज्ञान जेएनयू के पीएचडी छात्रों के बीच असामान्य नहीं है। न केवल शोध छात्रों को अपने विषय-क्षेत्र की अदृश्य दीवारों को पार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, अपितु शिक्षा जगत और बाहरी दुनिया के बीच संबंधों पर भी बातचीत चलती रहती है। इससे प्रायः समाज, संस्कृति और विज्ञान की समझ विकसित करने के लिए क्रॉसरोड बनाने वाले क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग के परिणाम निकलते हैं।
जेएनयू अपनी शैक्षिक संरचनाके अनुसार ही शिक्षण प्रक्रिया और मूल्यांकन पद्धति में भारत में ऐसा पहला विश्वविद्यालय हुआ है जिसने अंतिम परीक्षा को उपलब्धि-मापन के एकमात्र तरीके को गौण करके निरंतर सीखने की प्रक्रिया पर बल देकर उस परंपरागत मार्ग को छोड़ा है। यहां ग्रेडिंग पूरे सेमेस्टर के दौरान की जाती है। इसमें पाठ्यक्रम कार्य में छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है तथा कक्षा में ज्ञान पैदा करने की सहयोगात्मक प्रक्रिया को पुनर्जीवित किया जाता है। एम.ए. स्तर के छात्रों को भी सीमित विषयों में स्वतंत्र शोध परियोजनाएं करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जिससे अल्पकालिक पेपर तैयार होता है।
अपने नियमित संकाय-सदस्यों के अलावा जेएनयू ने पिछले वर्षों के दौरान विशिष्ट ‘पीठ’ – राजीव गांधी पीठ, अप्पादुरई पीठ, नेल्सन मंडेला पीठ, डॉ अम्बेडकर पीठ, आरबीआई पीठ, एसबीआई पीठ, सुखमय चक्रवर्ती पीठ, पर्यावरण विधि पीठ, ग्रीक पीठ, तमिल पीठ, और कन्नड़ पीठ की स्थापना की है।
कई संकाय-सदस्यों और शोध छात्रों ने अपने अकादमिक काम के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। विश्वविद्यालय के संकाय-सदस्य कई अकादमिक एसोसिएशनों के अध्यक्ष हैं। जेएनयू की विशेषज्ञता की अत्यधिक मांग है तथा इसके संकाय-सदस्यों ने विभिन्न पदों यथा – राजदूत/उच्चायुक्त और योजना आयोग जैसे महत्वपूर्ण निकायों के सदस्य के रूप में भारत सरकार की सेवा की है। विश्वविद्यालय के बहुत से संकाय-सदस्यों ने अन्य विश्वविद्यालयों के बतौर कुलपति भी सेवा की है तथा कर रहे हैं।
विश्वविद्यालय चार शोध-पत्रिकाएं निकालता है जो भारत और विदेशों में उच्च शैक्षिक जगत में देखी जाती हैं। उक्त शोध-पत्रिकाएं स्टडीज इन हिस्ट्री, इंटरनेशनल स्टडीज, जेएसएल (भाषा,साहित्य औरसंस्कृति अध्ययनसंस्थान की शोध-पत्रिका,) और हिस्पैनिक हॉरीजन्स हैं। जेएनयू के कई संकाय-सदस्य उपरोक्त चार के अलावा कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं का संपादन भी करते हैं।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने शोध परियोजनाओं, सम्मेलनों, और प्रकाशनों में दुनिया भर के विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग किया है। विश्वविद्यालय ने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं तथा उनके साथ नियमित रूप से संकाय-सदस्यों और छात्रों का आदान-प्रदान करते हैं। यहां कुछ अंतरराष्ट्रीय डिग्री पाठ्यक्रमों के भारतीय पाठ्यक्रम (इंडियन सेगमेंट) भी संचालित किए जाते हैं।